मुसाफिर


चलते रहते हैं मुसाफिर, अपने आशियाने कि तलाश में…..क्या अचरज है,
ठहरते हैं कुछ अरसा, फिर जारी रखते हैं सफर को…..क्या अचरज है,
टकराती हैं राहें किसी मोड़ पर, मिलते हैं नसीब इत्तिफ़ाक़ से…क्या अचरज है,
हँसते हुए बढ़ जाते हैं आगे, क्योंकि मंज़िल तो सबकी मुख्तलिफ है….क्या अचरज है,
महज़ सामान है ज़स्बात, गठरी बाँधी और अगले सहर कोई और शहर…क्या अचरज है,
एतबार क्या करें किसी हमराही का, कल को ग़र गठरी उठाये हम ही चले जाए…
क्या अचरज है|

नीर


कभी है यह निर्मल, निरभ्र, निर्झर, नटखट,
कभी खो जाता हो अकस्मात निश्चल, नीरव, निर्जल,
नदी बन कर बहता कल-कल,
तृप्त करता जन – जन कि क्षुधा बेकल,
सागर में भर जाता जैसे नीलम,
स्पर्श करता क्षितिज द्वारा नील गगन,
बह जाता नयन से हो निर्बल,
जैसे हो पावन गंगाजल,
प्रकृति के क्रोध का बनता माध्यम,
ले जाता जीवों का जीवन, भवन और आँगन,
धो देता कभी अस्थि के संग मानव पापों का भार,
गिरता धरा पर कभी बन रिमझिम बूँदों का दुलार,
देश विदेश कि सीमा से अपार,
यहां वहां बहता सनातन सदाबहार

मेरी माँ


कितनी भोली कितनी प्यारी है मेरी माँ,
मुझको हर पल मीठी डांट लगाती है मेरी माँ,
मुझको जीने का ढंग सिखाती है मेरी माँ,
मुझको चोट लगे तो ख़ुद दुःख पाती है मेरी माँ,

ऊपर जिसका अंत नहीं, उसे कहते हैं आसमां,
जहान में जिसका अंत नहीं, उसे कहते हैं माँ,
उनकी ममता कि छाओं में,
जाने कब खड़ी हुई मैं अपने पांव पे,

नींद अपनी भूला कर सुलाया जिसने,
आँसू अपने गिरा कर हंसाया जिसने,
इतना दुलार कहाँ से लाती हैं मेरी माँ,
कितनी भोली कितनी प्यारी है मेरी माँ

HAPPY MOTHER’S DAY MUMMY

बड़ी हठीली ये रात


बड़ी हठीली ये रात,
मधुर गजलों का है साथ,

गिराते हुए पलकों के पर्दे,
बुला रही है निंदिया रानी,
मंद मुस्कान लिए ये होँठ,
कह रहे थम जा तू ऐ रात,
बड़ी हठीली ये रात,

अंधियरे में फैला सन्नाटा,
टिक टिक करता घड़ी का काँटा,

दबे पाँव ही सही सवेरा तो आना है,
तेरी विदाई का क्षण तो आना है,
कुछ पल ठहर जा ऐ रात,
बड़ी हठीली ये रात,

एक नई रौशनी का होगा साथ,
जब बीत जायेगी तू ऐ रात,
खूबसूरत होगी वो सहर,
अनेक आशाओं को समेटे गोद में,
आ जायेगी वो सहर,
बड़ी हठीली ये रात,
मधुर गजलों का है साथ

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मन कहे मुझे उड़ने को


मन कहे मुझे उड़ने को,
जो हो रहा है उसमें ग़ुम होने को,

जो चाहे वो हासिल हो जाए,
जो पाए वो भी ख़्वाहिश बन जाए,

हाथ उठे दुआ माँगने को,
अगले ही पल वो इबादत कुबूल हो जाए,

मन कहे मुझे उड़ने को,
जो हो रहा है उसमें ग़ुम होने को,

जो लफ्जों में बायाँ हो वो अल्फाज ही क्या,
खामोशी कि ज़ुबान में कुछ बायाँ आज किया जाए,

दूर् से ही तारों को आज ताके कुछ यूँ,
उन्हें तोड़ने कि तमन्ना पुरी हो जाए,

दुनियाँ से लड़ने के बहाने हजारों हैं,
पहले ख़ुद से ही जीत लिया जाए,

उस अक्स कि झलक कुछ यूँ मिलें,
के ख़ुद के अश्क़ धूल जाए,

मन कहे मुझे उड़ने को,
जो हो रहा है उसमें ग़ुम होने को

तसवीरें


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तसवीरें, यादों का आइना होती है,
वक्त को ख़ुद में किये ये क़ैद,
कभी गुद्गुदाती हैं,
और कभी आँसू दे जाती हैं,
कभी छोड़ जाती हैं एक मीठी मुस्कान,
और कभी दे जाती हैं बीते लम्हों को फिर जीने कि चाह,
ये गुजरते पलों को थाम लेती हैं,
ये ही तो हैं जो हमेशा साथ निभाती हैं

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If I had wings





If I had wings to fly high and far,
I shall fly over the bountiful clouds,
I shall kiss the rainbow and touch the radiant sunset,
I shall have the velvet sky to glitter with the stars,
I shall smile with the moon, 
I shall fly among the birds and underneath the golden beam,
If I had wings to fly high and far, 
I shall be naturally doing what I really please,
The sky shall be mine and the world far away,
I shall own my time for the eternity,  
I shall not bother over trifle reasons,
I shall be free from the countless goals of the restless world,
If I had wings to fly high and far,  
The limitless sky shall be my playground,
There shall be no liabilities,
I shall fly away from where I am, 
I shall be liberated from all the alliances,
I shall feel the delight of spreading those graceful feathers.

#my composition

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मैं…


मैं.. मैं एक बेटी हूँ, बहन हूँ, माँ हूँ और सहेली भी..
खिलती हुई कली सी मैं, सपने बुनती परी सी मैं,

विभिन्न रूपों में करते हो मेरी पूजा,  सरस्वती,  लक्ष्मी या दुर्गा,
अगर करते हो देवी का सम्मान, फिर क्यूँ करते हो मेरा ही अपमान,
मैं एक बेटी हूँ, बहन हूँ, माँ हूँ और सहेली भी..
मन से हूँ चंचल, हृदय से कोमल,
कहते हो मैं हूँ अनमोल, फिर क्यू नहीँ करते मेरा मोल,
मुझसे ही सब कुछ है, पर मैं ही कुछ नहीँ,
जीवन देना मेरा कर्तव्य है, तो क्या जीना मेरा अधिकार नहीँ,
मैं एक बेटी हूँ, बहन हूँ, माँ हूँ और सहेली भी..
सितारों को छूने के ख्वाब है मेरे, क्या ये रह जायेंगे यूँ ही अधूरे,
सोने के पंखों से उडने कि आशा है, पर सह्मी सी मेरे जीवन कि परिभाषा है,
हर पल करती हूँ मैं इंतज़ार, मेरे ख्वाबों को कैसे करूँ साकार,
मैं एक बेटी हूँ, बहन हूँ, माँ हूँ और सहेली भी..
करती है दुनिया दुराचार, कहती है क्यूँ गयी तुम लक्ष्मण रेखा पार,
मैं एक बेटी हूँ, बहन हूँ, माँ हूँ और सहेली भी..
 
 -By Mansi Ladha

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